‘I would like to congratulate the Chancellor, Rabindranath Tagore University, for promoting Indian Culture in Global Arena in the name of Gurudev Rabindranath Tagore.’

- Pranab Mukharjee, former President, GoI in Vishwa Rang 2019

‘I appreciate the AISECT’s efforts in taking IT to people.’

- Dr. A.P.J. Abdul Kalam President, GoI in Indian Innovation Awards, 2006

यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि विश्व हिन्दी सचिवालय की भारत एवं मॉरीशस इकाइयों एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा मॉरीशस में विश्व रंग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। भाषा, साहित्य, कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देते हुए इस वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन सराहनीय है।

- नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री, भारत अभिमत

‘I am thankful to Shri Santosh Choubey and to Vishwa Rang Committee for bringing Vishwa Rang festival to Mauritius.’

- Pravin Jagnauth Prime Minister of Mauritius at Vishwa Rang 2024 festival

‘Vishwa Rang is the largest cultural festival of Asia, promoted by Rabindranath Tagore University’.

- Lalji Tandon the Hon. Governor of M.P.

मुझे हर्ष है। हमारी कला-संस्कृति हज़ारों वर्ष से चली आ रही है। इसकी जो आभा है वो शताब्दी दर शताब्दी कायम है। विश्वरंग में भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए जो कार्य हो रहा है, मैं उसका स्वागत करता हूँ। विश्वरंग का विस्तृत कार्यक्रम देखकर मन को हर्ष हुआ कि इसमें बहुत सारे नृत्य भी हैं, संगीत भी है। आपने गुरुदेव के नाम पर विश्वविद्यालय बनाया है। वो एक महान साहित्यकार थे, महान विचारक थे। उनकी ख्याति केवल भारत तक सीमित नहीं है। वे विश्वविख्यात है। मुझे उम्मीद है कि विश्वरंग अपने उद्देश्य में सफल रहेगा। टैगोर की स्मृति के साथ ही अपने समय में कला, साहित्य और संस्कृति के प्रति आप गहरी संलग्नता से काम करते रहेंगे, विश्वरंग इस बात का विश्वास देता है।

- कर्णसिंह, राजनेता - चिंतक

आई एम पोइट फ्रॉम साउथ अफ्रीका । आई एम ऑल्सो- फिल्ममेकर, एक्ट्रेस एण्ड प्रोड्यूसर । फर्स्ट टाइम कमिंग इन इण्डिया। आई एम हेप्पी टू कम हियर । 'विश्वरंग' इज़ वैरी स्पेशल । साउथ अफ्रीका है ए लार्ज इण्डियन कम्युनिटी सो द कल्चर ऑफ इण्डियन एंड लिटरेचयर वेरी क्लोज़ टूमी ।

- लेबो मशीले, लेखिका, साउथ अफ्रीका

मैं मास्को विश्वविद्यालय में हिन्दी, पंजाबी और कुछ धार्मिक विषय पढ़ाती हूँ। हमारे विद्यार्थी वहाँ शौक से हिन्दी सीख रहे हैं। भारतीय फिल्मों और कलाओं का वहाँ विशेष आकर्षण है। यह प्रेम काफी पुराना और गहरा है। 'विश्वरंग' ने भारत और रशिया के बीच एक नए सांस्कृतिक रिश्ते की शुरुआत की है। मुझे निजी तौर पर यहां आकर बहुत लाभ हुआ।

- लिउडमिला खोखलोवा, प्रोफेसर मास्को विवि, रशिया

'विश्व रंग' के बारे में दो बातें कहूँगी। 'विश्व रंग' पहला ऐसा आयोजन है मेरे अनुभव में जहाँ मैं विश्व को एक होते हुए देख रही हूँ। सारे आगंतुकों में उत्साह, स्नेह और खुशी का भाव है। भारत से बाहर रहकर एक कथाकार के रूप में हिन्दी के संसार से जुडना एक अलग ही अनुभव है। वनमाली कथा सम्मान समारोह में शामिल होकर मुझे गर्व की अनुभूति हुई।

- सुषम बेदी, कथाकार, अमेरिका

'विश्वरंग' के अप्रतिम महोत्सव ने भारतीय संस्कृति से जुड़े विश्व भर के रचनाकारों को समीप लाने और वैश्विक वैचारिकता के लिए काम करने हेतु उन्हें अधिक प्रतिबद्ध बनाया है। राजस्थानी लोक नृत्यों को अपने परिवार के साथ खुले आकाश के नीचे सीढियों पर बैठ कर देखने का आनंद ही कुछ और था। लोक कलाएँ निश्चय ही हमारे आदिम अहसासों को छूती है।

- धर्मपाल महेन्द्र जैन, साहित्यकार, टोरंटो

अठारह खंडों में कथा ग्रंथ, हिंदी कहानियों का अंग्रेज़ी में अनुवाद, उत्तेजक विचार-विमर्श और लोक कला के रंग प्रसंग... एक उत्सव में कितना कुछ ! संतोष चौबे और उनकी पूरी टीम की ऊर्जा और तेजस्विता के लिए विस्मित सद्भाव से भरी हुई हूँ मैं।

- ममता कालिया, कथाकार

यहाँ पर एक विशेष चीज़ हुई है जिससे मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ, वह यह है कि जो संवाद और विमर्श यहाँ हुए, वो बहुत ही ऊँचे दर्जे के और गम्भीर हैं। प्राय: इस तरह के उत्सवों में खानापूर्ति ज़्यादा होती है, तमाशा ज़्यादा होता है।

- सुधीर चन्द्रा, इतिहासकार

पहली बार साहित्य संस्कृति की इतनी बड़ी महफिल में भाग लेकर अच्छा लगा। मेरी मातृभाषा तिब्बती है और मैं अंग्रेज़ी में कविता लिखता हूँ। हिन्दी की महफिल में मेरे किये अनुवादों को शामिल किया जाना, महत्वपूर्ण रचनात्मक अवसर रहा। मुशायरा बेमिसाल था।

- तेंजिम तसन्डू, अनुवादक, तिब्बत

व्यापक स्तर पर इस ढंग से एक वृहद् उत्सव मनाना, जहाँ लेखक, साहित्यकार, रंगकर्मी, चित्रकार..... सारे लोग मौजूद हों, अपने आप में विलक्षण है यह सब ! इसकी जो भव्यता है दिल को छूने वाली है। माइण्ड यहाँ ब्लोइंग होता है और ये सब मुझे अनुभव हो रहा है।

- इन्द्रनाथ चौधरी, साहित्यकार

'विश्वरंग' में युवाओं को हम सम्बोधित कर रहे हैं और एक संदेश दे रहे हैं कि वो देश की वर्तमान राजनीति को समझें, देश की वर्तमान सामाजिक चेतना को परखें। एक ज़रूरी हस्तक्षेप लगा युवाओं का यहाँ होना। हम जैसे वरिष्ठ कवियों को युवाओं के साथ इन्टरैक्शन का जो अवसर मिला वह दुर्लभ और आत्मीय क्षण रहा। सब तरह के उतार-चढ़ाव मैं हिन्दी कविता के देखे हैं, लेकिन मैं हमेशा आधुनिक कविता के निकट रहा और तात्कालिक सत्य और यथार्थ को चित्रित करता रहा अपनी कविता में। विश्वरंग में आए युवा रचनाकारों से ऊर्जा मिलती रही मुझे।

- ऋतुराज, कवि-चिंतक

विश्वरंग मेरे लिए न केवल टैगोर बल्कि हिन्दुस्तान की सुंदर संस्कृति को गहराई से जानने का एक ज़रिया बना है। मुझे आश्चर्य होता है कि टैगोर का लिटरेचर सारी दुनिया की मनुष्यता की आवाज़ बन सका है।

- सेमिदा डेविड, लेखक, रोमानिया

दिल्ली पहुंचकर 'विश्वरंग' को बहुत बहुत याद किया। गहरी संतुष्टि हुई । अद्भुत महोत्सव संपन्न हुआ। ऊँचाइयों को छूता हुआ। मैं विश्व हिंदी सम्मेलन की कार्यकारिणी और उसके सभी कार्यक्रमों के निर्धारण में सक्रिय रही हूँ, 11 वें सम्मेलन तक, लेकिन रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित यह अंतरराष्ट्रीय समारोह, कहने में गुरेज नहीं कि अपने तमाम आयामों और परिणितियों में और तुलना विशेष रहा। विश्वरंग सब की मेहनत का नतीजा है और संतोष के विजन और अथक परिश्रम का समवेत प्रतिफल। मैं

- चित्रा मुद्गल, कथाकार

सरकारी समारोह तो बहुत सारे होते देखता रहा हूँ, लेकिन एक प्राइवेट यूनिर्वसिर्टी ने साहित्य और कला के प्रति इस तरह बहुत बड़े पैमाने पर जो दायित्व निर्वाह विश्वरंग में प्रकट किया है, वह बहुत ही सराहनीय है। दुनियां के अनेक मुल्कों से लेखक, शिक्षाविद्, मीडियाकर्मी ही नहीं बल्कि बड़ी तादाद में विद्यार्थियों का इसमें पूरी रुचि के साथ शरीक होना इस उत्सव की उपलब्धि है। विश्वरंग में प्रवेश निःशुल्क यह और खास बात।

- के. श्रीनिवास राव, सचिव साहित्य अकादेमी, दिल्ली

मेरा सौभाग्य है कि 'विश्वरंग' में मुझे अवार्ड मिला है प्रिंट मेकिंग के लिए। उसके लिए तो खुश हूँ ही। दूसरी बड़ी उपलब्धि यहाँ देश-दुनिया के गुणी और नामचीन कलाकारों से मिलना और संवाद करना है। कई कलाकारों का बहुत अच्छा वर्क देखने को मिला। सेमिनार्स से बहुत कुछ सीखने को मिला।

अनुपमा डे, चित्रकार टैगोर यूनिर्वसिटी को थैंक्स कहना चाहूँगी कि उन्होंने हम लोगों को 'विश्वरंग' में इतनी बड़ी अपॉर्चुनिटी दी। अपनी भावनाओं को हम अपनी लेखनी में अभिव्यक्त करते हैं लेकिन यह अभिव्यक्ति जब 'विश्वरंग' जैसे विशाल मंच का हिस्सा बनती है तो इसका दायरा बढ़ जाता है।

- आलिया शेख, लेखिका

मैं इजराइल से इस सांस्कृतिक महोत्सव में आया हूँ। भारत से मेरा सम्पर्क बहुत पुराना है। ये बहुत अच्छी बात है कि हिन्दी को बड़ा महत्व दिया जा रहा है। भाषा के त्यौहार की खुशी है।

- गेनाद्य श्लोम्पर, भाषाविद्, इजराइल